
आपसे निवेदन है की इस लेख को पूरा पढ़े। पूरा लेख पढ़ने के बाढ़ यह मुझे पूरा विश्वाश है की आपका मन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन करने रींगस खाटू श्याम दरबार जाने का करने लग जायेगा। जय श्री खाटू श्याम।
दोस्तों आज से 10 वर्ष पहले बाबा खाटू श्याम के दर्शन करने श्रद्धालु कम जाते थे। लेकिन सोशल मीडिया के चलते बाबा खाटू श्याम इतने चर्चित हो गए की अब हर कोई बाबा खाटू श्याम जाने के लिए चिंतित रहा है। बहुत से लोग तो हर महीने दर्शन करने जाते है। बाबा खाटू श्याम की कृपा से सब खुश रहते है। वो सबकी पीड़ा समझते है। दुःख हरते है। खाटू श्याम बाबा के दर्शन के बाद आपका मन निर्मल हो जाता है।
हारे का सहारा। बाबा श्याम हमारा
बाबा खाटू श्याम जी, जिनका असली नाम बर्बरीक था, महाभारत काल से जुड़े हैं। वे पांडु पुत्र भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे. वे वीर और महान योद्धा थे और भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे, इसलिए उन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है. बर्बरीक ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में भाग लेने से मना कर दिया था और श्रीकृष्ण ने उनकी भक्ति और बलिदान से प्रसन्न होकर कलियुग में उन्हें ‘श्याम’ नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था.
बर्बरीक:
खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था, जो भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे.
महाभारत काल:
बर्बरीक महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध से जुड़े हैं.
अभय बाण:
बर्बरीक को भगवान शिव से तीन अभेद्य बाण मिले थे, इसलिए उन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है.
बलिदान:
कुरुक्षेत्र के युद्ध में भाग लेने के बजाय बर्बरीक ने अपना शीश दान कर दिया था.
श्रीकृष्ण का वरदान:
श्रीकृष्ण ने बर्बरीक की भक्ति और बलिदान से प्रसन्न होकर उन्हें कलियुग में ‘श्याम’ नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था.
खाटू श्याम:
बर्बरीक को बाद में खाटू श्याम के रूप में जाना गया, और उनकी पूजा खाटू नगर (सीकर, राजस्थान) में की जाती है.
कलयुग के अवतार:
खाटू श्याम को कलयुग का अवतार माना जाता है.
श्याम नाम:
खाटू श्याम को श्याम नाम इसलिए दिया गया क्योंकि वे हारे हुए का साथ देने वाले हैं
बाबा खाटू श्याम जी की कहानी
महाभारत काल में लगभग साढ़े पांच हज़ार वर्ष पहले एक महान आत्मा का अवतरण हुआ जिसे हम भीम पौत्र बर्बरीक के नाम से जानते हैं महीसागर संगम स्थित गुप्त क्षेत्र में नवदुर्गाओं की सात्विक और निष्काम तपस्या कर बर्बरीक ने दिव्य बल और तीन तीर व धनुष प्राप्त किए। कुछ वर्ष उपरांत कुरुक्षेत्र में उपलब्ध नामक स्थान पर युद्ध के लिए कौरव और पांडवों की सेनाएं एकत्रित हुई।
युद्ध का शंखनाद होने ही वाला था कि यह वृतांत बर्बरीक को ज्ञात हुआ और उन्होंने माता का आशीर्वाद ले युद्धभूमि की तरफ प्रस्थान किया। उनका इरादा था कि युद्ध में जो भी हारेगा उसकी सहायता करूंगा। भगवान श्री कृष्ण को जब यह वृतांत ज्ञात हुआ तो उन्होंने सोचा कि ऐसी स्थिति में युद्ध कभी समाप्त नहीं होने वाला।
अतः उन्होंने ब्राह्मण का वेश घारण कर बर्बरीक का मार्ग रोककर उनसे पूछा कि आप कहां प्रस्थान कर रहे हैं। बर्बरीक ने अपना ध्येय बताया कि वह कुरुक्षेत्र जाकर अपना कर्तव्य निर्वाह करेंगे और इस पर ब्राह्मण रूप में श्री कृष्ण ने उन्हें अपना कौशल दिखाने को कहा। बर्बरीक ने एक ही तीर से पेड़ के सभी पत्तों को भेद दिया सिवाय एक पत्ते के जो श्री कृष्ण ने अपने पैरों के नीचे दबा दिया था।
बर्बरीक ने ब्राह्मण रूपी श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि वह अपना पैर पत्ते के ऊपर से हटाए वरन् आपका पैर घायल हो सकता है। श्री कृष्ण ने अपना पैर हटा लिया व बर्बरीक से एक वरदान मांगा। बर्बरीक ने कहा है यजमान आप जो चाहे मांग सकते हैं मैं वचन का पूर्ण पालन करूंगा।
ब्राह्मण रुपी श्री कृष्ण ने शीश दान मांगा। यह सुनकर बर्बरीक तनिक भी विचलित नहीं हुए परंतु उन्होंने श्रीकृष्ण को अपने वास्तविक रुप में दर्शन देने की बात की क्योंकि कोई भी साधारण व्यक्ति यह दान नहीं मांग सकता। तब श्रीकृष्ण अपने वास्तविक रुप में प्रकट हुए। उन्होंने महाबली, त्यागी, तपस्वी वीर बर्बरीक का मस्तक रणचंडिका को भेंट करने के लिए मांगा और साथ ही वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे।
मेरी ही शक्ति तुम में निहित होगी। देवगण तुम्हारे मस्तक की पूजा करेंगे जब तक यह पृथ्वी, नक्षत्र, चंद्रमा तथा सूर्य रहेंगे तब तक तुम, लोगों के द्वारा मेरे श्री श्याम रूप में पूजनीय रहोगे। मस्तक को अमृत से सींचाऔर अजर अमर कर दिया। मस्तक ने संपूर्ण महाभारत का युद्ध देखा एवं युद्ध के निर्णायक भी रहे। युद्ध के बाद महाबली बर्बरीक कृष्ण से आशीर्वाद लेकर अंतर्ध्यान हो गए।
बहुत समय बाद कलयुग का प्रसार बढ़ते ही भगवान श्याम के वरदान से भक्तों का उद्धार करने के लिए वह खाटू में चमत्कारी रूप से प्रकट हुए। एक गाय घर जाते समय रास्ते में एक स्थान पर खड़ी होकर चारों थनों से दूध की घाराएं बहाती थी। जब ग्वाले ने यह दृश्य देखा तो सारा वृत्तांत भक्त नरेश (खंडेला के राजा) को सुनाया। राजा भगवान का स्मरण कर भाव विभोर हो गया।
स्वप्न में भगवान श्री श्याम देव ने प्रकट होकर कहा मैं श्यामदेव हूं जिस स्थान पर गाय के थन से दूध निकलता है, वहां मेरा शालिग्राम शिलारुप विशग्रह है, खुदाई करके विधि विधान से प्रतिष्ठित करवा दो। मेरे इस शिला विग्रह को पूजने जो खाटू आएंगे, उनका सब प्रकार से कल्याण होगा। खुदाई से प्राप्त शिलारुप विग्रह को विधिवत शास्त्रों के अनुसार प्रतिष्ठित कराया गया। चौहान राजपूत इस मंदिर के पुजारी हैं। बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु-भक्तजन यहां बाबा श्याम के दर्शन करने आते है।
आशा करता की इस कहानी को पढ़कर तो समझ आ ही गया होगा की श्री श्याम यहाँ कैसे पूजनीय हुए।
बाबा खाटू श्याम जी का मंदिर कहाँ स्थित है? Khatu Shyam mandir kahan hai
बाबा खाटू श्याम जी का मंदिर कहाँ स्थित है? Khatu Shyam mandir kahan hai -बाबा खाटू श्याम जी का मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में खाटू गांव में स्थित है. यह मंदिर खाटू गांव में खाटू श्याम जी की पूजा का स्थल है, जिसे हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है.
रींगस रेलवे स्टेशन से खाटू श्याम की दूरी | Ringas Railway Station Se Khatu Shyam Ki Doori
यदि आप भी बाबा श्याम के दर्शन करने के लिए ट्रेन से जा रहे हैं तो खाटू गांव से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रिंगस है रिंगस रेलवे स्टेशन से खाटू गांव लगभग 17-18 किलोमीटर पड़ता है। इस लेख में हम आपको खाटू श्याम जी की यात्रा को सरल और सुविधाजनक बनाने हेतु थोड़ी बहुत जानकारी प्रदान कर रहे है।
यदि आप ट्रैन से सुबह के समय उतरते है तो आप जंक्शन के बाहर ही नहाने-धोने के लिए कमरा किराये पर ले सकते है। आपको आसानी से 200/- से 500/- तक कमरा मिल जाता है। आसपास के कही लोगो ने श्रद्धालुओं को ठहरने की व्यवस्था बना रख रखी है। ज्यादा दूर नहीं जाएँ। फिर वहां से आप ऑटो, ई-रिक्शा, बस के माध्यम से खाटू जा सकते है। यह लगभग आधे घंटे का रास्ता है।

बाबा श्याम के कौनसा प्रसाद चढ़ता है? | khatu shyam baba ko kya prasad chadhta hai
- गाय का कच्चा दूध : बाबा श्याम का सबसे प्रिय भोग प्रसाद – भगवान खाटू श्याम के प्रसाद में उनका सबसे प्रिय भोग गाय का कच्चा दूध माना जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान खाटू श्याम ने धरती पर सबसे पहले गाय का कच्चा दूध ग्रहण किया था
- खीर चूरमा: बाबा श्याम का भोग प्रसाद – बारस /द्वादशी के अवसर पर श्याम बाबा के भक्तों द्वारा उनके घरों में श्याम बाबा को खीर चूरमा का भोग लगाया जाता है .
- मावे के पेड़े
- पंचमेवा
इसके अलावा काजू, बादाम, छुहारा, किशमिश, मिश्री आदि का भी बाबा श्याम को भोग लगाया जाता है। Note: लेकिन एक बात का ध्यान रखें आप खीर और चूरमा दुकान से खरीदने की बजाय घर पर ही बनाएं
बाबा खाटू श्याम के मंत्र – khatu shyam mantra in hindi
ॐ मोर्वये नमः
ॐ श्री श्याम देवाय नमः
ॐ सुहृदयाय नमो नमः
ॐ श्याम शरणम् ममः
ॐ मोर्वी नंदनाय नमः
ॐ खाटूनाथाय नमः
ॐ शीशदानेश्वराय नमः
ॐ महाधनुर्धर वीर बर्बरीकाय नमः
ॐ श्याम देवाय बर्बरीकाय हरये परमात्मने, प्रणतः क्लेशनाशाय सुहृदयाय नमो नमः
ॐ मोर्वी नंदनाय विद्महे श्याम देवाय धीमहि तन्नो बर्बरीक प्रचोदयात्
Khatu Shyam Whatsapp Status | खाटू श्याम व्हाट्सएप स्टेटस
सांवरे अगर तेरा सहारा ना होता, तो सुन्दर संसार हमारा ना होता,
तूफानों की तबाही में गुम हो जाते, अगर सर पे हाथ तुम्हारा ना होता।।
।। जय श्री श्याम ।।
ना मांगू मैं महल दुमहले
ना बंगला ना कोठी।
जन्म मिले उस आंगन में
जहां जले श्याम की ज्योति।।
।। जय श्री श्याम।।